तेरे इश्क में कुर्बान
(१) तेरे इश्क में कुर्बान
कहते है कि जब दो लोगों की किस्मत एक-दूसरे से जुड़ी होती है तो तकदीर उन्हें एक न एक दिन, एक साथ ले ही आती है पर करन और मधु..... इनकी किस्मत ने इनके साथ जो खेल खेला है। उसने इन दोनों की जिंदगी ही बदलकर रख दी। नफरत से शुरू हुई इनकी प्रेम कहानी नंदिनी की यादों और ऋषभ की साज़िशों से बचकर अपनी सच्ची मोहब्बत को कभी पा सकेगी या नही...... जानने के लिए पढ़िए। मेरी नई पेशकश.......
(२) तेरे इश्क में कुर्बान
गायत्री निवास में वने मन्दिर में पंडितजी माँ दुर्गा के सामने खड़े उनकी आरती कर रहे थे। उनके ठीक पास ही क्रीम कलर की सिल्क की साड़ी पहने गायत्री देवी ताली बजाकर आरती गा रही थी। गले में महेंगे मोतियों की माला और कान में मोतियों के फूल पहने हुए गायत्री देवी को देखकर कोई भी ये समझ जाएगा कि वो किसी बड़े घराने से ताल्लुक रखती है। उनके घर के सारे नौकर भी उनके पीछे हाथ जोड़े खड़े थे। गायत्री देवी का ध्यान अपने घर के दरवाजे था। वो बार-बार दरवाज़े की ओर देखे जा रही थी। जैसे उन्हें किसी के आने का इंतज़ार हो। आरती खत्म होते ही पंडितजी ने गायत्री देवी को आरती देते हुए पूछा-गायत्रीजी, आज मधु बिटिया अभी तक नहीं आई?
गायत्री ने आरती लेते हुए कहा- हम भी यही सोच रहे है पंडितजी कि मधु अब तक आई क्यों नहीं। रोज़ तो सुबह छः बजे ही आ जाती है पर आज तो आरती भी खत्म हो गई पर अब तक नहीं आई। जरूर कुछ बात है वरना वो कभी लेट नहीं होती। इतना कहकर उन्होंने अपने नौकर रमेश की ओर देखकर कहा- रमेश, मधु को फोन करो और पूछो कि वो अब तक आई क्यों नही।
"जी"- इतना कहकर रमेश तुरन्त वहीं से चला गया। गायत्री परेशान होकर लिविंग में रखे बड़े से सोफे पर बैठ गई। पास खड़ी उनकी मेड सीमा ने उनसे पूछा-दादी माँ, आपके लिए नारता बना है?
गायत्री ने बिना कोई जवाब दिए सोफे के पास टेबल पर रखे फोन का रिसीवर उठाया और नम्बर डायल करने लगी। दूसरी ओर बेल बज रही थी पर कोई फोन नहीं उठा रहा था। उन्होंने फिर से कोशिश की पर इस बार भी किसी ने फोन नहीं उठाया। गायत्री देवी ने परेशान होकर रिसीवर टेबल पर रख दिया। पास खड़ी सीमा ने फिर से पूछा- दादी माँ, आपको दवाई भी तो लेनी है। मैं आपका नाश्ता बना देती हूँ।
(३) गायत्री ने कहा हमें भूख नहीं है
"क्यों भूख नही ही आपको?"- इतना सुनते ही गायत्री देवी ने दरवाजे की ओर देखा। दरवाजे पर एक 23-24 साल की लड़की पीले रंग की शॉर्ट कुर्ती और चूड़ीदार पहने खड़ी थी। जिसने हरे रंग का दुप्पटा अपने गले में डाला हुआ था। सागीरा, काली काली कजरारी आँखें जिसमें हल्का सा काजल लगा हुआ था। एक लंबी सी चोटी जो उसने अपने दाएं कंधे पर डाली हुई थी।। ई थी। गुलाबी होंठो पर हल्की सी पिंक कलर की लिपस्टिक लगी हुई थी। होंठों पर आ रही उस लड़की के बालों की एक लट जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही है। उसने अपने बाहे कैथे पर एक वेग टांगा हुआ था और वो अपनी चप्पलों को जोड़े हुए हाथ में लिए खड़ी थी। गायत्री उसे देखते ही मुस्कुरा दी और बोली- मधु...
मधु ने अपनी चप्पले दरवाजे पर पटकी और अंदर आई। उसने गायत्री के पैर छूकर कहा- गुड मोर्निंग दादी माँ।
गायत्री ने मुस्कुराते हुए मधु के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा-गुड मॉर्निंग बेटा वैसे ये चप्पले हाथ में लिए क्यों खड़ी थी आप और आज आपको इतनी देर कैसे हो गई?"- गायत्री ने सोफे से उठकर पूछा।
मधु ने मुस्कुराते ते हुए मासूमियत से जवाब दिया- वो क्या है न दादी माँ, आज मेरी बस मिस हो गई और मुझे पैदल यहाँ तक आना पड़ा। और ये मेरी चप्पल.... इसने भी मुझे रास्ते में धोखा दे दिया। टूट गई
गायत्री ने थोड़ा झुककर मधु की चप्पल की ओर देखा और कहा- बेटा, ये तो पूरी तरह टूट गई है। आपको इन्हें रास्ते में ही किसी इजबीन में फेंक देना चाहिए था और आप पैदल क्यों आई? ऑटो से भी तो आ सकती थी?
मधु ने मुस्कुराते हुए अपना बैग सोफे पर रखा और किचन की ओर बढ़ते हुए बोली- चप्पल इतनी भी नहीं टूटी है दादी माँ। मैं जाते टाइम रास्ते में ठीक करवा लूंगी। (इतना कहकर मधु ने किचन में बने वाशबेसिन के पास रखी साबुन से अपने हाथ धोये और फ्रीज़ से मौसंबी निकालकर फिरसे लिविंग रूम में आ गई। उसने टेबल पर मौसंबी की प्लेट रखी और खुद ज़मीन पर बैठ कर मौसंबी छिलने लगी। गायत्री सोफे पर बैठकर मुस्कुराते हुये मधु को देख रही थी।
मधु ने मौसंबी छीलते हुए कहा- वैसे दादी माँ, ये तो बहुत गलत बात है। अगर मैं थोड़ा लेट हो गई थी तो आपको नाश्ता कर लेना चाहिए था। आपको दवाई भी तो लेनी होती है और आप जानती है न कि आपका ख्याल रखना ही मेरा काम है। अगर आपका बीपी और शुगर एक परसेंट भी बढ़ा तो मेरी तो नौकरी ही चली जायेगी। तब ही सीमा हाथों में चाय की ट्रे लिए वहाँ आई और उसने चाय मधु के सामने रखकर कहा- दीदी, आपके लिए चाय....... मधु हैरानी से सीमा को देखने लगी। ये देखकर गायत्री ने तुरंत कहा- बेटा, इतनी दूर पैदल चलकर आई है आप। ये अदरक और तुलसी वाली चाय है। इसे पीयेगी तो आपकी थकान उतर जाएगी।
"पर मैं घर से चाय पीकर आई हूँ दादी माँ इसलिये सीमा, ये चाय आप पी लीजिये। मधु ने सीमा की ओर देखकर कहा।
गायत्री ने मुस्कुराते हुए कहा- हमे पता है बेटा कि आप अपने घर से चाय और नाश्ता करके
(४)
आती है पर फिर भी आपको ये चाय हमारे लिए पीनी होगी। समझी आप?
मधु ने मुस्कुराते हुए कहा- जी दादी माँ, मैं समझ गई। इतना कहकर मधु हँस दी और सीमा भी।
"वैसे आपने हमें बताया नहीं कि आप पैदल क्यों आई और ऑटो से क्यों नही आई?"- गायत्री ने न्यूज़ पेपर उठाते हुए पूछा।
मधु चाय का कप उठाकर सोफे पर बैठी और बोली- दादी माँ, आपको कुछ पता नही है। ये ऑटो वाले न लोगों को बहुत लूटते है। चार कदम चलने के ही सो रुपये ले लेते है। ये सुनकर गायत्री मुस्कुरा दी और बोली- आगे कुछ मत कहिये बेटा.....हम समझ गए कि आप इतनी दूर पैदल चलकर क्यों आई है।
मधु भी मुस्कुरा दी। उसने जल्दी से अपनी चाय खत्म की और गायत्री से कहा- दादी माँ, बस दस मिनिट में आपका नारता रेडी हो जाएगा। में अभी बनाकर लाती हूँ। इतना कहकर मधु ने अपने एक हाथ में चाय का कप और दूसरे हाथ में प्लेट उठाई और किचन में चली गई। गायत्री उसे जाते देखकर मुस्कुराते हुए बोली- पागल लड़की.....
तब ही गायत्री के मोबाइल की बेल बजने लगी। स्क्रीन पर रोहित लिखा देखकर वो बहुत खुश हुई। उन्होंने मुस्कुराते हुये फोन रिसीव करते हुए
कहा- रोहित
"गुड मोर्निंग दादी माँ। कैसी है आप?" दूसरी ओर से रोहित ने पूछा। गायत्री ने मुस्कुराते हुए टेबल पर रखी रोहित की तस्वीर उठाकर देखते हुए कहा- आपकी आवाज सुन ली हमने इसलिए अब हम बिल्कुल ठीक है। बस अब अगर आप आ जाये और हम आपको देख ले तो फिर हमें दवाइयों की भी जरुरत नही पड़ेगी।
रोहित ने गाड़ी ड्राइव करते हुए कहा- मैं नही आऊँगा दादी माँ क्योकि मेरे इंडिया आते ही आप पर मेरी शादी का फितूर सवार हो जायेगा। आप दुनिया भर की लड़कियों का मेला मेरे सामने लगा देगी और मेरा शादी करने का फिलहाल कोई इरादा नही है।
गायत्री ने तस्वीर फिर से टेबल पर रख दी और बोली- इस बार हम आपसे आपकी शादी को लेकर कोई बात नहीं करेंगे।
ये सुनते ही रोहित हैरान हो गया और उसने अपनी गाड़ी पर ब्रेक लगा दिया। कुछ पल सोचकर उसने गायत्री से पूछा- आपकी तबियत तो ठीक
है न दादी माँ? कैसी बहकी-बहकी बातें कर रही है आप। ये सुनकर गायत्री को हँसी आ गई। रोहित फिर से बोला- दादी माँ, आप सच में मेरी
शादी की बात नहीं करेगी?
"नहीं करेंगे बेटा"- गायत्री ने मुस्कुराते हुए कहा। रोहित भी मुस्कुरा दिया और बोला- तो ठीक है दादी माँ, मैं आ रहा हूँ।
"क्या??" गायत्री खुशी से चीखते हुए उठकर खड़ी हो गई। उनकी आवाज सुनकर मधु और घर के बाकी नौकर भागते हुए वहाँ आ गए।
मधु ने गायत्री के कंधे पर हाथ रखकर पूछा- क्या हुआ दादी माँ? गायत्री ने कोई जवाब नही दिया पर दूसरी तरफ़ से फोन पर रोहित बोला- हाँ
दादी माँ, मैं आ रहा हूँ। मैनें आपको यहीं
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